नवरात्रि पर माताजी की सभी आरती का संग्रह | Collection of all Aarti of Mataji on Navratri
माताजी की आरती का संग्रह | Collection of all Aarti of Mataji | sabhi mata ji ki aarti | Collection of all Aarti of Mataji on Navratri special
इस लेख में आपको हम सभी माताओं की आरती बताएँगे. उम्मीद है यह लेख आपको जरुर पसंद आएगा. यह लेख माताजी की आरती का संग्रह है. जो आपको किसी भी अवसर पर माताजी की आरती गाने में सहयोग करेगा. नवरात्रि के इस शुभ पर आपको 14 माताओं की आरती का संग्रह एक ही जगह पर मिलेगा. आइए लेख की शुरुवात करते है. दोस्तों यदि आपको और भी माताजी की किसी आरती की जानकारी हो तो हमे कमेंट बॉक्स में जरुर बताए.
माताजी की आरती का संग्रह ( Collection of all Aarti of Mataji )
माँ दुर्गा आरती
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी
तुमको निशदिन ध्यावत, तुमको निशदिन ध्यावत
हरि ब्रह्मा शिवरी, ॐ जय अम्बे गौरी..
मांग सिंदूर विराजत,टीको मृगमद को
मैया टीको मृगमद को,उज्ज्वल से दो नैना
उज्ज्वल से दो नैना,चंद्रवदन नीको
ॐ जय अम्बे गौरी..
कनक समान कलेवर,रक्ताम्बर राजै
मैया रक्ताम्बर राजै,रक्तपुष्प गल माला
रक्तपुष्प गल माला,कण्ठन पर साजै
ॐ जय अम्बे गौरी..
केहरि वाहन राजत,खड्ग खप्परधारी
मैया खड्ग खप्परधारी,सुर नर मुनि जन सेवत
सुर नर मुनि जन सेवत,तिनके दुखहारी
ॐ जय अम्बे गौरी..
कानन कुण्डल शोभित,नासाग्रे मोती
मैया नासाग्रे मोती,कोटिक चन्द्र दिवाकर
कोटिक चन्द्र दिवाकर,सम राजत ज्योति
ॐ जय अम्बे गौरी..
शुम्भ-निशुम्भ बिदारे,महिषासुर घाती
मैया महिषासुर घाती,धूम्र विलोचन नैना
धूम्र विलोचन नैना,निशदिन मदमाती
ॐ जय अम्बे गौरी..
चण्ड-मुण्ड संहारे,शोणित बीज हरे
मैया शोणित बीज हरे,मधु कैटभ दोउ मारे
मधु कैटभ दोउ मारे,सुर भयहीन करे
ॐ जय अम्बे गौरी..
ब्रहमाणी रुद्राणी,तुम कमला रानी
मैया तुम कमला रानी,आगम-निगम बखानी
आगम-निगम बखानी,तुम शिव पटरानी
ॐ जय अम्बे गौरी..
चौंसठ योगिनी गावत,नृत्य करत भैरव
मैया नृत्य करत भैरव,बाजत ताल मृदंगा
बाजत ताल मृदंगा,और बाजत डमरु
ॐ जय अम्बे गौरी..
तुम ही जग की माता,तुम ही हो भरता
मैया तुम ही हो भरता,भक्तन की दु:ख हरता
भक्तन की दु:ख हरता,सुख सम्पत्ति करता
ॐ जय अम्बे गौरी..
भुजा चार अति शोभित,वर-मुद्रा धारी
मैया वर-मुद्रा धारी,मनवान्छित फल पावत
मनवान्छित फल पावत,सेवत नर-नारी
ॐ जय अम्बे गौरी..
कंचन थाल विराजत,अगर कपूर बाती
मैया अगर कपूर बाती,श्रिमालकेतु में राजत
श्रिमालकेतु में राजत,कोटि रतन ज्योति
ॐ जय अम्बे गौरी..
माँ अंबेजी की आरती,जो कोई नर गावे
मैया जो कोई नर गावे,कहत शिवानंद स्वामी
कहत शिवानंद स्वामी,सुख-संपत्ति पावे
ॐ जय अम्बे गौरी..
जय अम्बे गौरी,मैया जय श्यामा गौरी
तुमको निशदिन ध्यावत,तुमको निशदिन ध्यावत
हरि ब्रह्मा शिवरी,ॐ जय अम्बे गौरी..
लक्ष्मी जी की आरती
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता
तुमको निस दिन सेवत हर विष्णु विधाता…
उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग-माता
सूर्य-चन्द्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता..
ॐ जय लक्ष्मी माता..
तुम पाताल-निरंजनि, सुख-सम्पत्ति-दाता
जो कोई तुमको ध्यावत, ऋद्धि-सिद्धि-धन पाता…
ॐ जय लक्ष्मी माता..
तुम पाताल-निवासिनि, तुम ही शुभदाता
कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनि, भवनिधि की त्राता…
ॐ जय लक्ष्मी माता..
जिस घर तुम रहती, तहँ सब सद्गुण आता
सब सम्भव हो जाता, मन नहिं घबराता…
ॐ जय लक्ष्मी माता..
तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न हो पाता
खान-पान का वैभव सब तुमसे आता…
ॐ जय लक्ष्मी माता..
शुभ-गुण-मंदिर सुन्दर, क्षीरोदधि-जाता
रत्न चतुर्दश तुम बिन कोई नहिं पाता…
ॐ जय लक्ष्मी माता..
महालक्ष्मीजी की आरती, जो कई नर गाता
उर आनन्द समाता, पाप शमन हो जाता…
ॐ जय लक्ष्मी माता..
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता
तुमको निस दिन सेवत हर विष्णु विधाता…
माँ काली आरती
अम्बे तू है जगदम्बे काली, जय दुर्गे खप्पर वाली
तेरे ही गुण गायें भारती, ओ मैया हम सब उतारें तेरी आरती..
तेरे भक्त जनों पे माता, भीर पड़ी है भारी
दानव दल पर टूट पडो माँ, करके सिंह सवारी..
सौ सौ सिंहों से तु बलशाली, दस भुजाओं वाली
दुखिंयों के दुखडें निवारती, ओ मैया हम सब उतारें तेरी आरती..
माँ बेटे का है इस जग में, बड़ा ही निर्मल नाता
पूत कपूत सूने हैं पर, माता ना सुनी कुमाता
सब पर करुणा दरसाने वाली, अमृत बरसाने वाली
दुखियों के दुखडे निवारती, ओ मैया हम सब उतारें तेरी आरती..
नहीं मांगते धन और दौलत, न चाँदी न सोना
हम तो मांगे माँ तेरे मन में, इक छोटा सा कोना
सबकी बिगडी बनाने वाली, लाज बचाने वाली
सतियों के सत को संवारती, ओ मैया हम सब उतारें तेरी आरती..
अम्बे तू है जगदम्बे काली, जय दुर्गे खप्पर वाली
तेरे ही गुण गायें भारती, ओ मैया हम सब उतारें तेरी आरती..
माँ महाकाली आरती
जय काली माता, माँ जय महा काली माँ
रतबीजा वध कारिणी माता
सुरनर मुनि ध्याता, माँ जय महा काली माँ..
दक्ष यज्ञ विदवंस करनी माँ शुभ निशूंभ हरलि
मधु और कैितभा नासिनी माता
महेशासुर मारदिनी, ओ माता जय महा काली माँ..
हे हीमा गिरिकी नंदिनी प्रकृति रचा इत्ठि
काल विनासिनी काली माता
सुरंजना सूख दात्री हे माता..
अननधम वस्तराँ दायनी माता आदि शक्ति अंबे
कनकाना कना निवासिनी माता
भगवती जगदंबे, ओ माता जय महा काली माँ..
दक्षिणा काली आध्या काली, काली नामा रूपा
तीनो लोक विचारिती माता धर्मा मोक्ष रूपा..
जय महा काली माँ..
सरस्वती माँ आरती
जय सरस्वती माता, मैया जय सरस्वती माता
सदूगुण वैभव शालिनी, त्रिभुवन विख्याता
मैया जय सरस्वती माता
चन्द्रवदीन पदूमासिनि, द्युति मंगलकारी
सोहे शुभ हंस सवारी, अतुल तेजधारी
मैया जय सरस्वती माता
बाएँ कर में वीणा, दाएं कर माला
शीश मुकुट मणि सोहे, गल मोतियन माला
मैया जय सरस्वती माता
देवी शरण जो आए, उनका उद्धार किया
पैठि मंथरा दासी, रावण संहार किया
मैया जय सरस्वती माता
विधा ज्ञान प्रदायिनी, ज्ञान प्रकाश भरो
मोह, अज्ञान और तिमिर का, जग से नाश करो
मैया जय सरस्वती माता
धूप दीप फल मेवा, माँ स्वीकार करो
ज्ञानचक्षु दे माता, जग निस्दर करो
मैया जय सरस्वती माता
माँ सरस्वती की आरती, जो कोई जन गावे
हितकारी सुखकारी, ज्ञान भक्ति पावे
मैया जय सरस्वती माता
जय सरस्वती माता, मैया जय सरस्वती माता
सदूगुण वैभव शालिनी, त्रिभुवन विख्याता
मैया जय सरस्वती माता..
पहला दिन
शैलपुत्री माता आरती
शैलपुत्री मां बैल असवार, करें देवता जय जयकार
शिव शंकर की प्रिय भवानी, तेरी महिमा किसी ने ना जानी
पार्वती तू उमा कहलावे, जो तुझे सिमरे सो सुख पावे
ऋद्धि-सिद्धि परवान करे तू, दया करे धनवान करे तू
सोमवार को शिव संग प्यारी,आरती तेरी जिसने उतारी
उसकी सगरी आस पुजा दो,सगरे दुख तकलीफ मिला दो
घी का सुंदर दीप जला के, गोला गरी का भोग लगा के
श्रद्धा भाव से मंत्र गाएं, प्रेम सहित फिर शीश झुकाएं
जय गिरिराज किशोरी अंबे, शिव मुख चंद्र चकोरी अंबे
मनोकामना पूर्ण कर दो, भक्त सदा सुख संपत्ति भर दो..
दुसरा दिन
ब्रह्मचारिणी माँ की आरती
जय अंबे ब्रह्माचारिणी माता,जय चतुरानन प्रिय सुख दाता
ब्रह्मा जी के मन भाती हो,ज्ञान सभी को सिखलाती हो
ब्रह्मा मंत्र है जाप तुम्हारा,जिसको जपे सकल संसारा
जय गायत्री वेद की माता,जो मन निस दिन तुम्हें ध्याता
कमी कोई रहने न पाए,कोई भी दुख सहने न पाए
उसकी विरति रहे ठिकाने,जो तेरी महिमा को जाने
रुद्राक्ष की माला ले कर,जपे जो मंत्र श्रद्धा दे कर
आलस छोड़ करे गुणगाना,मां तुम उसको सुख पहुंचाना
ब्रह्माचारिणी तेरो नाम,पूर्ण करो सब मेरे काम
भक्त तेरे चरणों का पुजारी,रखना लाज मेरी महतारी..
तीसरा दिन
चन्द्रघंटा माँ आरती
जय माँ चन्द्रघंटा सुख धाम,पूर्ण कीजो मेरे काम
चन्द्र समान तू शीतल दाती,चन्द्र तेज किरणों में समाती
क्रोध को शांत बनाने वाली,मीठे बोल सिखाने वाली
मन की मालक मन भाती हो,चन्द्र घंटा तुम वरदाती हो
सुंदर भाव को लाने वाली,हर संकट मे बचाने वाली
हर बुधवार जो तुझे ध्याये,श्रद्धा सहित जो विनय सुनाय
मूर्ति चंदर आकार बनाये,सन्मुख घी की ज्योत जलाये
शीश झुका कहे मन की बाता,पूर्ण आस करो जगदाता
कांची पुर स्थान तुम्हारा,करनाटिका मे मान तुम्हारा
नाम तेरा रटू महारानी,’चमन’ की रक्षा करो भवानी
जय माँ चन्द्रघंटा सुख धाम,पूर्ण कीजो मेरे काम..
चौथा दिन
कुष्मांडा माता की आरती
जय जग सुखदानी,मुझ पर दया करो महारानी
पिगंला ज्वालामुखी निराली,शाकंबरी माँ भोली भाली
लाखों नाम निराले तेरे,भक्त कई मतवाले तेरे
भीमा पर्वत पर है डेरा,स्वीकारो प्रणाम ये मेरा
सबकी सुनती हो जगदंबे,सुख पहुँचती हो माँ अंबे
तेरे दर्शन का मैं प्यासा,पूर्ण कर दो मेरी आशा
माँ के मन में ममता भारी,क्यों ना सुनेगी अरज हमारी
तेरे दर पर किया है डेरा,दूर करो माँ संकट मेरा
मेरे कारज पूरे कर दो,मेरे तुम भंडारे भर दो
तेरा दास तुझे ही ध्याए,भक्त तेरे दर शीश झुकाए
पांचवां दिन
स्कंदमाता की आरती
जय तेरी हो अस्कंध माता,पांचवा नाम तुम्हारा आता
सब के मन की जानन हारी ,जग जननी सब की महतारी
तेरी ज्योत जलाता रहू मै,हरदम तुम्हे ध्याता रहू मै
कई नामो से तुझे पुकारा,मुझे एक है तेरा सहारा
कही पहाड़ो पर है डेरा,कई शेहरो मै तेरा बसेरा
हर मंदिर मै तेरे नजारे,गुण गाये तेरे भगत प्यारे
भगति अपनी मुझे दिला दो,शक्ति मेरी बिगड़ी बना दो
इन्दर आदी देवता मिल सारे,करे पुकार तुम्हारे द्वारे
दुष्ट दत्य जब चढ़ कर आये,तुम ही खंडा हाथ उठाये
दासो को सदा बचाने आई,भक्त की आस पुजाने आई..
छठा दिन
देवी कात्यायनी की आरती
जय कात्यायनि माँ, मैया जय कात्यायनि माँ
उपमा रहित भवानी, दूँ किसकी उपमा
मैया जय कात्यायनि….
गिरजापति शिव का तप, असुर रम्भ कीन्हाँ
वर-फल जन्म रम्भ गृह, महिषासुर लीन्हाँ
मैया जय कात्यायनि….
कर शशांक-शेखर तप, महिषासुर भारी
शासन कियो सुरन पर, बन अत्याचारी
मैया जय कात्यायनि….
त्रिनयन ब्रह्म शचीपति, पहुँचे, अच्युत गृह
महिषासुर बध हेतू, सुर कीन्हौं आग्रह
मैया जय कात्यायनि….
सुन पुकार देवन मुख, तेज हुआ मुखरित
जन्म लियो कात्यायनि, सुर-नर-मुनि के हित
मैया जय कात्यायनि….
अश्विन कृष्ण-चौथ पर, प्रकटी भवभामिनि
पूजे ऋषि कात्यायन, नाम काऽऽत्यायिनि
मैया जय कात्यायनि….
अश्विन शुक्ल-दशी को, महिषासुर मारा
नाम पड़ा रणचण्डी, मरणलोक न्यारा
मैया जय कात्यायनि….
दूजे कल्प संहारा, रूप भद्रकाली
तीजे कल्प में दुर्गा, मारा बलशाली
मैया जय कात्यायनि….
दीन्हौं पद पार्षद निज, जगतजननि माया
देवी सँग महिषासुर, रूप बहुत भाया
मैया जय कात्यायनि….
उमा रमा ब्रह्माणी, सीता श्रीराधा
तुम सुर-मुनि मन-मोहनि, हरिये भव-बाधा
मैया जय कात्यायनि….
जयति मङ्गला काली, आद्या भवमोचनि
सत्यानन्दस्वरूपणि, महिषासुर-मर्दनि
मैया जय कात्यायनि….
जय-जय अग्निज्वाला, साध्वी भवप्रीता
करो हरण दुःख मेरे, भव्या सुपुनीता
मैया जय कात्यायनि….
अघहारिणि भवतारिणि, चरण-शरण दीजै
हृदय-निवासिनि दुर्गा, कृपा-दृष्टि कीजै
मैया जय कात्यायनि….
ब्रह्मा अक्षर शिवजी, तुमको नित ध्यावै
करत ‘अशोक’ नीराजन, वाञ्छितफल पावै
मैया जय कात्यायनि….
सातवां दिन
कालरात्रि माता आरती
कालरात्रि जय-जय-महाकाली, काल के मुह से बचाने वाली
दुष्ट संघारक नाम तुम्हारा, महाचंडी तेरा अवतार
पृथ्वी और आकाश पे सारा, महाकाली है तेरा पसारा
खडग खप्पर रखने वाली, दुष्टों का लहू चखने वाली
कलकत्ता स्थान तुम्हारा, सब जगह देखूं तेरा नजारा
सभी देवता सब नर-नारी, गावें स्तुति सभी तुम्हारी
रक्तदंता और अन्नपूर्णा, कृपा करे तो कोई भी दुःख ना
ना कोई चिंता रहे बीमारी, ना कोई गम ना संकट भारी
उस पर कभी कष्ट ना आवें, महाकाली माँ जिसे बचावे
तू भी भक्त प्रेम से कह, कालरात्रि माँ तेरी जय
आठवां दिन
माँ महागौरी जी की आरती
जय महागौरी जगत की माया,जया उमा भवानी जय महामाया ।।
हरिद्वार कनखल के पासा, महागौरी तेरा वहां निवासा ।।
चंद्रकली ओर ममता अंबे, जय शक्ति जय जय मां जगदंबे ।।
भीमा देवी विमला माता, कौशिकी देवी जग विख्याता ।।
हिमाचल के घर गौरी रूप तेरा, महाकाली दुर्गा है स्वरूप तेरा ।।
सती ‘सत’ हवन कुंड में था जलाया, उसी धुएं ने रूप काली बनाया ।।
बना धर्म सिंह जो सवारी में आया, तो शंकर ने त्रिशूल अपना दिखाया ।।
तभी मां ने महागौरी नाम पाया, शरण आने वाले का संकट मिटाया ।।
शनिवार को तेरी पूजा जो करता, मां बिगड़ा हुआ काम उसका सुधरता ।।
भक्त बोलो तो सोच तुम क्या रहे हो, महागौरी मां तेरी हरदम ही जय हो ।।
नौवां दिन
सिद्धिदात्री माता की आरती
जय सिद्धिदात्री तू सिद्धि की दाता, तू भक्तो की रक्षक तू दासो की माता
तेरा नाम लेते ही मिलती है सिद्धि, तेरे नाम से मन की होती है शुद्धि !!
कठिन काम सिद्ध कराती हो तुम, जभी हाथ सेवक के सर धरती हो तुम !!
तेरी पूजा मैं तो न कोई विधि है, तू जगदम्बें दाती तू सर्वसिद्धि है !!
रविवार को तेरा सुमरिन करे जो, तेरी मूर्ति को ही मन मैं धरे जो !!
तू सब काज उसके कराती हो पूरे, कभी काम उस के रहे न अधूरे !!
तुम्हारी दया और तुम्हारी यह माया, रखे जिसके सर पैर मैया अपनी छाया !!
सर्व सिद्धि दाती वो है भाग्यशाली, जो है तेरे दर का ही अम्बें सवाली !!
हिमाचल है पर्वत जहाँ वास तेरा, महा नंदा मंदिर मैं है वास तेरा !!
मुझे आसरा है तुम्हारा ही माता, वंदना है सवाली तू जिसकी दाता !!
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