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Monday 11 January 2021

सीता माता की गोदी में हनुमत डाली मूंदड़ी भजन लिरिक्स

 सीता माता की गोदी में हनुमत डाली मूंदड़ी भजन लिरिक्स


सीता माता की गोदी में, हनुमत डाली मूंदड़ी।।


सुनकर जामवंत कि बात, बजरंग मारी एक छलांग, 

हिरदै ध्यान राम को राख, सागर कूद पड़े हनुमान, 

शीश पर राखी मुन्दडी, सीता माता की गोदी में, 

हनुमत डाली मूंदड़ी।।


बजरंग फिर फिर लंका जाई, खबर नहीं सिता की पाई, 

वहां बतलाये कोई नाही. बजरंग जाए खड़े पनघट पे, 

बातें कर रही सुन्दरी, सीता माता की गोदी में, 

हनुमत डाली मूंदड़ी।


बातें सुन सुन पता लगायो, बजरंग दौड़ बारा में आयो, 

सिता जी को दर्शन पायो, सिता झुरे विरह के माहि, 

बजरंग डाली मुंदरी, सीता माता की गोदी में, 

हनुमत डाली मूंदड़ी।।


सिता देखत ही पहचानी, या श्री रघुवर की सैनाणी, 

इसको कौन जानवर आणि, किस विध उतरयो सागर पार, कैसे लापो मुंदरी, सीता माता की गोदी में, 

हनुमत डाली मूंदड़ी।।


तब बोल्यो बजरंग वाणी, माता तू क्यों चिंता आणि, 

रघुवर भेजी है सेंदानी, मुझको भेज्यो श्री रघुवर, 

जाय कर दे दो मुंदरी, सीता माता की गोदी में, 

हनुमत डाली मूंदड़ी।।


मैं तोही जानत नाही वीर, मेरे लगी कालजे तीर, 

मन में किस विध आवे धीर, या तो नहीं राक्षसी माया, 

छलकर लायो मुंदरी, सीता माता की गोदी में, 

हनुमत डाली मूंदड़ी।।


मैं हूँ रामचन्द्र को पायक, मेरे राम है सदा सहायक, 

उनको नाम अति सुखदापक, मत कर सोच फिकर तू माता, या नहीं छल की मुंदरी, सीता माता की गोदी में, 

हनुमत डाली मूंदड़ी।। Only One For All Lyrics


वनचर देख सिया मुस्कानी. मुख से बोली ऐसी वाणी. 

तेरी छोटी सी जिंदगानी, किस विध कूद गयो तू सागर, 

यहाँ पर लायो मुंदरी, सीता माता की गोदी में, 

हनुमत डाली मूंदड़ी।।


माता छोटो सो मत जाण, में हूँ बहुत बड़ो बलवान, 

बल मोहि दीन्हो श्री भगवान, रघुपति किरपा मोपे किन्ही,

तब में लायो मुंदरी, सीता माता की गोदी में, 

हनुमत डाली मूंदड़ी।।


मिता सुनकर ऐसी बात, अपने मन में धीरज लाप, 

इसको भेज्पो श्री रघुनाथ, सिता बैठी बागा के माय, 

पल पल निरखे मुंदरी, सीता माता की गोदी में, 

हनुमत डाली मूंदड़ी।


नंका फिर फिर के जलाई, एक विभीषण को घर नाही, 

बाकी सब घर आग लगाई, जग को काज कियो हनुमान, 

पूछ बुझाये मुंदरी, सीता माता की गोदी में, 

हनुमत डाली मूंदड़ी।।


हनुमत गए रघुवर के पास, उनको खबर दई है खास, 

भेट्यो सिता को सब त्रास, तो सम नहीं कोई बलवान, 

सराहे रघुवर मुंदरी, सीता माता की गोदी में, 

हनुमत डाली मूंदड़ी।।


जो कोई ध्यान राम को लावे, मुख से गुण रघुवर को गावे, उनका जन्म मरण छूट जावे, रघुवर पाप देय सब खोप, 

जो कोई गावे मूंदड़ी. सीता माता की गोदी में, 

हनुमत डाली मूंदड़ी।।


सीता माता की गोदी में, हनुमत डाली मूंदड़ी।।


गायक विजय जी सोनी।

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